ठीक कहतें हैं प्रोफ़ेसर अख्तरुल वासे साहिब -रोज़ा जुबान का भी होता ,आँख और कान भी रोज़ेदार होतें हैं। नवरात्र हों या रोज़े (रमादान की अवधि )शरीर से विषाक्त पदार्थ निकाल बाहर करने का काम भी करते हैं ताकि शेष साल भर शरीर के प्रमुख अंग अपनी पूरी क्षमता से काम करते रहें।
सार्स -कोरोना -वायरस -दो आलमी महारोग के इस आपात -काल में जबकि कई योद्धाओं को निशाने पे लिया जा रहा है तमाम कौमें -हिन्दू ,सिख, ईसाई, पारसी जैनी ,बौद्ध ख्याल रखें आँख अपराध न कर पाए ,आपराधिक न होने पाए। कान- अजान आरती पर ध्यान दें ,जुबान गुड़ हो जाए।
परस्पर जुड़ाव बना रहे भौतिक दूरी रहे ,परस्पर दिलोदिमाग से थोड़ा और करीब हो जाएं। मंदिर मस्जिद गुरूद्वारे काबा -मदीना और बेत -अल मकदीस जबकि लोकडाउन का तहे दिल से पालन कर रहें हैं हमसे कोई गलती न हो जाए।
नभाटा ने आलेख "सबकी बेहतरी की दुआ प्रकाशित करके और ज़नाब प्रोफ़ेसर साहब ने यह प्रकाशन के लिए सबके साथ सांझा करके इस दौर की एक बड़ी ज़रुरियात को पूरा किया है। कौमों को जोड़ने वाले ऐसे ही मौज़ूं लेख आज पहले से कहीं ज्यादा प्रासंगिक हैं। बधाई नभाटा भारत धर्मी समाज आपको शतश: प्रणाम करता है।
वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई ),२४५ /२ ,विक्रम विहार ,शंकर विहार ,कॉम्प्लेक्स ,दिल्ली -छावनी -११० ०१०
सार्स -कोरोना -वायरस -दो आलमी महारोग के इस आपात -काल में जबकि कई योद्धाओं को निशाने पे लिया जा रहा है तमाम कौमें -हिन्दू ,सिख, ईसाई, पारसी जैनी ,बौद्ध ख्याल रखें आँख अपराध न कर पाए ,आपराधिक न होने पाए। कान- अजान आरती पर ध्यान दें ,जुबान गुड़ हो जाए।
परस्पर जुड़ाव बना रहे भौतिक दूरी रहे ,परस्पर दिलोदिमाग से थोड़ा और करीब हो जाएं। मंदिर मस्जिद गुरूद्वारे काबा -मदीना और बेत -अल मकदीस जबकि लोकडाउन का तहे दिल से पालन कर रहें हैं हमसे कोई गलती न हो जाए।
नभाटा ने आलेख "सबकी बेहतरी की दुआ प्रकाशित करके और ज़नाब प्रोफ़ेसर साहब ने यह प्रकाशन के लिए सबके साथ सांझा करके इस दौर की एक बड़ी ज़रुरियात को पूरा किया है। कौमों को जोड़ने वाले ऐसे ही मौज़ूं लेख आज पहले से कहीं ज्यादा प्रासंगिक हैं। बधाई नभाटा भारत धर्मी समाज आपको शतश: प्रणाम करता है।
वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई ),२४५ /२ ,विक्रम विहार ,शंकर विहार ,कॉम्प्लेक्स ,दिल्ली -छावनी -११० ०१०
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