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Showing posts from April, 2020

वैर बढ़ाते मंदिर मस्जिद मेल कराती महामारी। कोरोना ने हमें अंतर्मुखी होने का मौक़ा दिया है।फतवा ज़ारी किया है असली - ये शरीर ही हमारा मंदिर है जिसमें देवता(आत्मा ,रूह )का वास है। यहीं है ,यही है, मंदिर -मस्जिद -गिरजाघर और गुरूद्वारा। ध्यान लगाइये अंदर झांकिए। कबीरा मन निर्मल भया जैसे गंगा नीर , पाछे पाछे हरी फिरा कहत कबीर कबीर

'लोकडाउन' गर्म होती धरती का कूलिंग पीरियड। इतिहास का सबसे स्वेच्छ 'अर्थ -डे' (पृथ्वी पर्व ). कोरोना संकट के बीच पृथ्वी की 'रीचार्जिंग'। कोरोना काल धरती की सुधरती सेहत का 'दर्शन शास्त्र ' इतिहास के सबसे स्वच्छ 'Earth Day ' का DNA विश्लेषण।  क्या खोया क्या पाया कोरोना टाइम्स में ? खोया तो बहुत  कुछ लेकिन वो क्या कहते हैं हर चीज़ के दो पहलू होते हैं -एक कृष्ण पक्ष एक शुक्ल पक्ष। यहां हम  शुक्ल पक्ष का ज़ायज़ा तो लेंगे ही साथ ही यह भी देखेंगे हम कैसा पाखंड पूर्ण दोहरा जीवन जी रहें हैं।जहां हम अब तक डेढ़  पृथ्वी के समतुल्य संसाधन  चट कर चुकें हैं और असलियत  से जलवायु संकट की ज़ोरदार दस्तक से ट्रंप सोच के चलते  आँखें मूंदे हुए हैं।जबकि प्रकृति ने अपनी इच्छा जाहिर कर दी है।            कोरोना टाइम्स  ने हमें यह सिखाया है कि हमें पृथ्वी का सिर्फ दोहन और शोषण नहीं करना है पोषण भी करना है। तभी क़ायम रह सकने लायक विकास का हमारा सपना पूरा हो सकेगा।  कल युग के कारखाने अर्थ व्यवस्था के लिए तो ज़रूरी होतें हैं लेकिन ये प्रदूषण की भी सबसे बड़ी वजह हैं।  कोर